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Monday, July 11, 2016

बेरोजगारी आज बणी महामारी 
युवक युवती बहोत घणी खारी 

Sunday, July 10, 2016

नया निजाम


नया निजाम किन किन बातां पर खरया उतरैगा  देखियो ॥ 
झूठ कै साहरे मीडिआ तैं कितने दिन निखरैगा देखियो ॥ 
विकास का मॉडल कौनसा यो इब अपनाया जावैगा देखो 
मेहनत कश तैं कौनसा लॉली पॉप थमाया जावैगा देखो 
बदेशी पूंजी तांहि दरवाजा कितना खुलवाया जावैगा देखो 
रौंद कै पायाँ तलै कितने भारत ऊपर उठाया जावैगा देखो 
तामझाम कितने दिन मैं सारा का सारा बिखरैगा देखियो ॥ 
महंगाई डायन नै सबकै कसूते ये घर घाल दिए सैं देखो 
मेहनत काश के घर मैं आज भक्कड़  बाल दिए सैं देखो 
अम्बानी अडानी बरगे आज कर मालामाल दिए सैं देखो 
महंगाई क्यूकर रोकी जागी कौनसे ख्याल दिए सैं देखो 
महंगाई नहीं रुकी तो आम घणा तावला बिफरैगा देखियो ॥ 
भ्रष्टाचार तैं मुक्ति का आज कौनसा रास्ता अपनाया जावैगा 
इलैक्शनां  का खर्चा इब यो क्यूकर कितना उघवाया जावैगा 
बेलगाम घोड्यां कै यो लगाम किस तरियां लगवाया जावैगा 
देखना बाकि सै आम आदमी किस तरियां उलझाया जावैगा 
भ्रष्टाचार भाग व्यवस्था का किस तरियां डिगरैगा देखियो ॥ 
एक और जंग खड़ी साहमी देश म्हारे मैं बेरोजगारी की 
अठाईस करोड़ युवा शक्ति सै शिकार इस महामारी की 
किततैं पैदा होवैगा रोजगार कैसे मिलै मुक्ति बीमारी की 
युवा की उम्मीद बहोत घणी देखी उसनै समों लाचारी की 
नहीं पाया सही रास्ता तो यो घणा कसूता चिंगरैगा देखियो ॥ 
इलैकशन पहलम खूब हुया काळा धन का जिकरा देखो 
बोले इसनै उल्टा ल्यावण नै चाहिए कसूता जिगरा देखो 
आगै काला धन नहीं बनै इसका नहीं कोय फिकरा देखो 
कित कित तैं रोक्या ज्यावै अडानी के तवयां  सिकरा देखो 
काला  धन  बदमाश घणा सै किस ढालां यो सुधरैगा देखियो ॥ 
महिला की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित करी जावैगी देखो 
छेड़छाड़ रेप छीना झपटी क्यूकर कम हो पावैगी देखो 
छाँट कै पेट मैं मारी जांती  क्यूकर संसार मैं आवैगी देखो 
काम मुश्किल बहोत सै कद सुख तैं या रोटी खावैगी देखो 
हामी भरी थी इन कामां की कद सी इब मुकरैगा देखियो ॥ 
06/06 /2016 



Concessions to Corporet

2005 -2006  से लेकर अब तक कांग्रेस और भाजपा दोनों के द्वारा  कुल मिलाकर 42,08,347 करोड़ रूपये पूंजीपतियों को रियायतों के रूप में दिए जा चुके हैं । 
शिक्षा के क्षेत्र में बजट की एक झलक
यू जी सी के बजट में सीधे 55 प्रतिशत की कटौती कर दी है 
2015 -2016  के बजट में यूं जी सी के लिए 9,315 करोड़ रूपये रखे गए थे  लेकिन इस वर्ष रकम मात्र 4,287 करोड़ रखी गई है । 
समझा जा सकता है इसका छात्रों व विश्व विद्यालयों पर क्या प्रभाव पड़ेगा । 
शिक्षा को बाजार के हवाले करने की दिशा में एक कदम और आगे चलते हुए सरकार ने कुछ गरम गरम घोषनाओं के बीच महत्वपूर्ण चीजों को बारीकी से छुपाने की कोशिश की है लेकिन छिप नहीं पाई ।  मिशाल के तौर  पर  62 नए नवोदय विद्यालय खोलने की घोषणा की गई । शिक्षा के महत्वपूर्ण  ढांचे को   सुधारने की बजाय 62 ऐसे विद्यालय खोले जायेंगे जहाँ प्रतिवर्ष प्रत्येक स्कूल में 80 छात्रों का दाखिला होगा  ।  यानि कि हर वर्ष लगभग 5,000 छात्रों को गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा देने की घोषणा देकर सरकार करोड़ों अन्य छात्रों के भविष्य को जो चूना लगने वाली है उसको जेटली साहब ने काफी सफाई से छुप लिया है । 
हालाँकि प्रत्यक्ष करों को भी पूंजीपति  धन्नासेठ आम जनता पर विभिन्न तरीकों से हस्तनान्तरित कर देते हैं । इस रूप में बजट का लगभग 90 प्रतिशत से अधिक हिस्सा आम मेहनत कश  आबादी की कमाई  से आता है 

आयी किमैं समझ मैं ?

आयी किमैं समझ मैं ?
2015 -2016 के बजट में जेटली साहब ने 7 लाख 91 हजार करोड़ का प्रत्यक्ष कर वसूलने का लक्ष्य रखा था । प्रत्यक्ष करों की उगाही पूंजीपतियों या ज्यादा आय वालों से की जाती है । 
लेकिन 2015 -2016 के संशोधित अनुमानों में यह केवल 7 लाख 44 हजार ही रह गया । वास्तविक आंकड़े जब सामने आएंगे तो यह और भी नीचे जा सकता है । 
मालों और सेवाओं पर लगने वाले करों यानि अप्रत्यक्ष करों का अनुमानित लक्ष्य बजट 2015 -2016  में  6 लाख 48  रखा गया था लेकिन संशोधित अनुमानों में यह बढ़कर 7 लाख 4 हजार करोड़ रूपये हो गया । प्रत्यक्ष करों में लगभग 46000 करोड़ की कटौती हुई ।  अप्रत्यक्ष करों में लगभग 55000 करोड़ की बढ़ोतरी हुई । 
यह सब सरकार की राजस्व नीति को बेपर्दा करता है । 
आयी किमैं समझ मैं ?